When I am in love - Nihal Srivastava
मेरे जीवन के इन हिस्सो में कोई भी कोई घटना मेरे आँखों के सामने नही घटी बल्कि मेरी आँखों के सामने से जो भी गुज़रा उसे महसूस किया। मैं हमेशा से अकेला रहा। मैंने जो कुछ भी लिखा है वो बस मेरे अंतर्मन का युद्ध है। मैंने बहुत कोशिश की कि-इस स्कूल में ना पढूँ पर मुझे मज़बूरी में पढ़ना ही पड़ा क्योंकि- पूरे सिटी में कॉमर्स का वही एक कॉलेज था और दीदी भी कॉमर्स पढ़ती थी। उनका नाम इस स्कूल में नही था पर वो सिर्फ क्लास करने के लिए जाती थी। उनका साथ देने के लिए मुझे भी जाना पड़ा। उस स्कूल में मुझे अच्छा तो नही लगता था मगर कोशिश करता था की इसे अब आदत बना लूँ। इसी बीच मेरे जीवन में एक यादगार घटना घटी। वो है मेरी लव स्टोरी, बड़ी ही अनोखी थी और बहुत अजीब भी। ये प्यार भी कब किससे हो जाये कुछ पता नही, पर मेरे लिए मेरी प्रेम कहानी हमेशा मेरी फेवरेट रहेगी क्योकि- इसका अंदाज़ ही कुछ अलग था। स्कूल में ही इसकी शुरुआत हुई लेकिन- आज तक कभी उस लड़की से अपने प्यार का इजहार नही कर पाया। मेरे क्लास में बहुत सारी सुन्दर लड़किया पढ़ती थी पर मेरे दिल में बस उसी ने जगह बनाया। मैं उसे उस वक्त इसलिए चाहने लगा था क्योंकि-मेरी और उसकी हाईट मैचिंग की थी। मेरे क्लास के कुछ लड़के मुझे चिढ़ाते भी थे कि- अपनी साइज की कोई लड़की ढूँढ़ ले लेकिन मैं मुस्कुरा के ही रह जाता था। अंदर से गुस्सा तो बहुत आता था पर मैं कर भी क्या सकता था। मेरी कोई गर्लफ्रेंड ही नही थी। उन्हें इम्प्रेस करने के लिए मेरे पास कुछ था ही नही। मेरी ऐसी किस्मत रही कि-आज तक मेरे जीवन में एक भी लड़की ने कदम नही रखा और मुझे जिससे प्यार भी हुआ उसे ये बात कभी बता भी नही पाया। स्कूल में सबका प्रेम-प्रसंग देखकर मैं नाराज़ था। मैं खुद को मनाने के लिए अपने आप से कहता था कि- ये बिगड़े घर के बच्चे है इनमें संस्कार नाम की कोई चीज़ नही है, बाद में पढ़ाई ही काम आएगी जबकि- पढ़ने में सबसे कमज़ोर मैं ही था लेकिन दिल को तसल्ली देने के लिए ये बात कहनी ज़रूरी थी। उन दिनों में मैं इतनी हिम्मत नही जुटा पा रहा था कि- सिमरन को प्रपोज़ कर सकूँ। मैं डरता था कि- मुझसे कही कुछ गलत ना हो जाये क्योकि- मैं लोगों की नज़रो में शांत स्वभाव का बच्चा था। मैं ये सोचता था कि-कही ये बात मेरे घर तक ना पहुँच जाये या उस लड़की के घर वालो को ना पता चल जाये जिससे मेरी और मेरे पापा की बेइज्जती हो। इन आठ सालों में कभी उसे पता नही चलने दिया कि-कोई लड़का उसे बहुत चाहता है। मैं शायद लड़कियों से बात करने में शर्माता भी बहुत था। मैं सोचता था कि-वो मेरे बारे में क्या सोचेगी।
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